Wednesday 7 September 2011

''इंसान''

इंसान
नाम का प्राणी 
कभी इस जग में रहता था,
किन्तु अब
डायनासोर की तरह 
लुफ्त हो गया है.
किन्तु कुछ
अवशेष मिले है 
इंसान के,
जिससे
ज्ञात होता है 
कि कभी इस धरा पर 
इंसान रहता था.
शायद हम तुम 
सब आदमी 
इंसान के 
अवशेष है,
क्यूंकि इंसानियत 
अब किसी में
न शेष है.
इन्सान और इंसानियत 
इस मतलबी दुनिया में 
केवल यादगार
अवशेष है. 

2 comments:

  1. बहुत खूब !
    जोरदार कविता !
    इंसान
    नाम का प्राणी
    कभी इस जग में रहता था,
    किन्तु अब
    डायनासोर की तरह
    लुफ्त हो गया है.

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  2. बहुत खूब! बेहद शानदार रचना। बधाई!

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