Saturday 23 July 2011

''अजनबी राह''

शहर की अजनबी
राह पर चलते हुए 
मैने देखा की 
एक व्यक्ति
पड़ा है सड़क बीच, 
खून से लथपथ 
दर्द से कहरा रहा है वो
लोग घेर कर खड़े है उसे,
सब उसे देख रहे है 
कोतुहल भरी नजरों से
लेकिन,
कोई उसे हाथ नहीं लगाता 
क्यों कोई उसे अस्पताल नहीं पंहुचाता
क्या लोग ऐसे ही मरने
को छोड़ देते है किसी  को 
अपने ही भाई को 
अपने ही साथी को 
क्या शहर में कोई इंसान नहीं ?
या इंसानियत मर चुकी है ?
क्या सब ये भूल चुके है 
कि कभी उनकी भी 
यही हालत हो सकती है 
शहर कि अजनबी
राह पर चलते चलते.....

No comments:

Post a Comment