Saturday 23 July 2011

''ऑनर किलिंग''

अपने मान सम्मान की खातिर
अपनी थोथी इज्जत की खातिर,
करते है अपनी ही
ओलाद का क़त्ल,
करते है उनके 
बुने हुए अधूरे सपनो का क़त्ल,
तोड़ देते है उनके 
अरमानों के आशियानों को..
आखिर क्यों....?
गुनाह.....
सिर्फ प्रेम,
वो ही प्रेम 
जो बचपन में 
हमने ही उन्हें  सिखाया,
जिस का उन्हें
मिलना चाहिए इनाम,
वो प्यार ही ले लेता है उनकी जान.
आखिर प्रेम-पंछी 
कब तक देते रहेंगे?
अपना बलिदान 
अपने सपनो का बलिदान..

3 comments:

  1. सार्थक प्रश्न उठाती रचना....

    ReplyDelete
  2. सन्देश देती हुई सार्थक प्रस्तुति - शुभकामनाएं और आशीष

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर रचना।

    ReplyDelete