ना कोई ठौर
ना ही कोई ठिकाना.
कंहा है उसे जाना
उसे मालूम नहीं,
फिर भी चला जा रहा है
गली-चोराहों को पार करता हुआ,
किसी अपने की तलाश में..
लेकिन जिसका नहीं है कोई
वो क्या पायेगा.
कंहा जायेगा.
लेकिन शायद उसके
पथ का कोई विराम नहीं.
वह इस राह का
अकेला राही
अनवरत चला जा रहा है....
ना ही कोई ठिकाना.
कंहा है उसे जाना
उसे मालूम नहीं,
फिर भी चला जा रहा है
गली-चोराहों को पार करता हुआ,
किसी अपने की तलाश में..
लेकिन जिसका नहीं है कोई
वो क्या पायेगा.
कंहा जायेगा.
लेकिन शायद उसके
पथ का कोई विराम नहीं.
वह इस राह का
अकेला राही
अनवरत चला जा रहा है....
Nice one!! In raho par aaram nahi.....koi viram nahi....thak jaye jo insan.....wo manzil ka hakdar nahi!!Nice one!! In raho par aaram nahi.....koi viram nahi....thak jaye jo insan.....wo manzil ka hakdar nahi!!
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